“रामो विग्रहवान् धर्मस्साधुस्सत्यपराक्रमः।
राजा सर्वस्य लोकस्य देवानां मघवानिव।।”
500 वर्षों के पश्चात रामलला अपने भव्य महल में विराजमान हो चुके है और इस दिन का इंतजार सभी सनातनियों को था।
देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने यम नियम का पालन करते हुए 11 दिन का उपवास किया और उस उपवास का पारण मात्र चरणामृत द्वारा किया।
रामलला की सुंदर विग्रह का दर्शन कर सभी लोग भावुक हो गए, इस विग्रह का निर्माण शिला पत्थर से हुआ है। इस काले पत्थर को कृष्ण शिला भी कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम के स्वरूप को श्याम वर्ण में ही वर्णित किया गया है इसलिए, यह भी एक वजह है कि रामलला की मूर्ति का रंग श्यामल है।
राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए अयोध्या में संत, उद्योग, कारसेवक, फिल्म, खेल सहित अलग-अलग क्षेत्रों के नामचीन हस्ती मौजूद रही।
राम मंदिर निर्माण से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक ज्योतिष और वास्तु नियमो का विशेष पालन किया गया हैं। जैसे –
मंदिर की सीढियां: मंदिर में प्रवेश से पहले 32 सीढ़ियां हैं जिसमे पहली 16 सीढ़ियां भगवान राम के 16 गुणों को, बाद की 12 सीढ़िया कला को और अंतिम 4 सीढ़ियां मानव जीवन से संबंधित चार पदार्थ यानी धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष से जुड़ी हैं।
विग्रह का स्थान: वास्तु अनुसार, मूर्ति को पूर्व दिशा में रखा गया है, जिससे मंदिर की ऊर्जा में वृद्धि हुई है। रामलला की सुन्दर विग्रह अरुण योगिराज ने बनाई उनके मतानुसार प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात उस विग्रह के मुख की चमक पहले की अपेक्षा और बढ़ गयी थी।
प्राण प्रतिष्ठा: 22 जनवरी का दिन वास्तु में विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन परिवर्तन योग में बृहस्पति और मंगल एक सीध में थे इसके अतिरिक्त इस दिन ब्रह्म योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग जैसे मजबूत योग बन रहे थे। प्राण प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त में पूर्ण करी गयी, मुहूर्त भले ही मात्र 84 सेकंड का था किन्तु 21 प्राण वाले (चार सेकंड का एक प्राण) 84 सेकंड के इस संजीवनी मुहूर्त में 84 लाख योनियों की प्राण शक्ति समाहित थी और यही प्राण शक्ति अयोध्या के नवनिर्मित श्रीराम मंदिर को अनंत काल तक अक्षुण्य बनाए रखेगी।
पूजन: गणेशाम्बिका, कलश पूजन, षोडश मातृका और सप्त घृत मातृका पूजन, पांच पीठों का पूजन, श्री विग्रह का महाभिषेक, और प्राण शक्ति का आधान के साथ-साथ आरती-पुष्पांजलि के अलावा पांचक यजमान का दशाविधि स्नान शामिल हैं। वही प्रधानमंत्री जी और योगी आदित्यनाथ जी ने रामलला के दाहिने ओर से पूर्वाभिमुख होकर पूजा करी।
आमंत्रित दर्शक: अतिथियों को वास्तु अनुसार विशेष दिशाओं में बैठाया गया जैसे संत महात्माओं और धर्मगुरुओ की बात करे तो उन्हें बैठने के लिए ईशान(North-East) और आग्नेय कोण (South-East) दिया गया क्योंकि ईशान कोण कीर्ति और प्रचार में वृद्धि करता है, वही संत पुरुष ऊर्जा का प्रतीक होते हैं और ऊर्जा की दिशा आग्नेय कोण मानी जाती हैं।
दूसरी और उद्योगपतियों और फ़िल्मी सितारों को दक्षिण दिशा में बैठाया गया क्योकि दक्षिण दिशा स्थिरता और संपत्ति का प्रतीक हैं।
इन्ही ज्योतिष और वास्तु नियमो के पालन से ही प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव शांतिपूर्वक संपन्न हुआ और न केवल इस युग में बल्कि चारो ही युगो में ज्योतिष, वास्तु और मुहूर्त आदि का विशेष महत्त्व रहा हैं जैसे रामायण में भी सभी 8 कांडो में इनका विवरण मिलता है जैसे –
- अयोध्या कांड में राजा दशरथ को दुःस्वप्न आना जब जन्म नक्षत्र में सूर्य मंगल और राहु का योग बनता हैं और वे जन्म नक्षत्र पर कब्ज़ा कर लेते हैं, तो आम तौर पर राजा या तो मर जाता है या खतरनाक स्थिति का सामना करता हैं।
- अरण्य कांड में कुटिया में प्रवेश करने के लिए श्री राम और लक्ष्मण जी ने पहले वास्तु पूजा कराई।
- देवी सीता एक बगीचे में बैठती थीं जहां उत्तर की ओर भारी अशोक के पेड़ थे और यही कारण है कि देवी सीता हमेशा रोती रहती थीं। जहां भारी वस्तुएं हों या उत्तर दिशा अवरुद्ध हो तो महिलाओं को परेशानी होती है।
- रावण द्वारा देवी सीता का हरण विंदा मुहूर्त में करना जिसके बारे में जटायु बताते है कि इस मुहूर्त में चुराई गयी चीज अपने मूल स्वामी को वापस मिल जाती है।
आने वाले 14 फरवरी को, अबू धाबी में BAPS हिंदू मंदिर का उद्घाटन होने वाला है, जो देश भर के सभी सनातनीयों के लिए गर्व की बात है।