
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
हमारी चेतना के अंदर तीनों प्रकार के गुण – सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण व्याप्त हैं। प्रकृति के साथ इसी चेतना के तालमेल के उत्सव को नवरात्रि कहते है। इन 9 दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार प्रत्येक ग्रह माता के किसी न किसी रूप का प्रतिनिधि ग्रह है।
ज्योतिष अनुसार, नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाई जाती है और यह माँ दुर्गा को समर्पित नौ दिवसीय पर्व है। चार नवरात्रियों में शामिल हैं – चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि जिसमे दस महाविधाओं की साधना की जाती हैं।
चैत्र नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होती है और राम नवमी के दिन समाप्त होती है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
माँ दुर्गा का आगमन और विशेष संकेत

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि रविवार, 30 मार्च 2025 से प्रारंभ हो रही है और इसका आरंभ और समापन दोनों रविवार को हो रहा है, जिससे मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और इसी पर प्रस्थान करेंगी। माता का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है, जो सुख-समृद्धि और अच्छे वर्षा चक्र का संकेत देता है।
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कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और वास्तु नियम
नवरात्रि की शुभ शुरुआत घटस्थापना (कलश स्थापना) से होती है, जो माँ शक्ति के आह्वान का पवित्र विधान माना जाता है। कलश सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक होता है, जिसमें भगवान विष्णु का मुख, शिव का गला, ब्रह्मा का मूल और देवी शक्ति का मध्य में निवास होता है। घटस्थापना के माध्यम से ब्रह्मांड की सभी सकारात्मक शक्तियों का आह्वान किया जाता है, जिससे घर की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और शुभता व मंगलकारी ऊर्जा का संचार होता है। यह पावन पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त रविवार, मार्च 30, 2025 प्रातः मुहूर्त – 06:13 am – 10:22 am अभिजित मुहूर्त – 12:01 pm – 12:50 pm |
- घर के मुख्य द्वार पर आम और अशोक के पत्तो की तोरण / वंधनवार लगाए।
- घटस्थापना ईशान (North-East) कोण में ही करे।
- कलश स्थापित करने के बाद उसे न हिलाए।
- अखंड ज्योति पूर्व दिशा की ओर जलाएं।
नवरात्रि पूजन नियम
- नवरात्रि में यदि आपने माता की चौकी रखी है और अखंड ज्योत जलाई हैं तो भूल कर भी घर को खाली न छोड़े, घर पर ताला न लगाएं और हमेशा एक व्यक्ति घर पर जरूर रहें।
- नवरात्रि में केवल सात्विक भोजन का ही सेवन करे। इस दौरान मांसाहार भोजन के साथ लहसुन और प्याज का भी त्याग करे।
- इस दौरान बाल-दाढ़ी और नाखून न काटे लेकिन छोटे बच्चों का मुंडन करवा सकते हैं।
- इन नौ दिनों में किसी भी दिन काले रंग का कपड़ा न पहने और साथ ही चमड़े से बनी चीजें जैसे जूते, चप्पल, बैग और बेल्ट इत्यादि का इस्तेमाल भी न करे।
- वैसे तो कभी भी किसी कन्या या नारी का अपमान नहीं करना चाहिए लेकिन नवरात्रि के दिनों में भूलकर भी किसी कन्या को दुःख न दे।
- व्रत रखने वालों को गंदे और बिना धुले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
- नौ दिन तक नींबू न काटे।
- विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोना निषेध है।
- फलाहार एक ही जगह पर बैठकर ग्रहण करें।