॥ महालक्ष्मी अष्टकम ॥

The Shree Mahalaxmi Ashtakam Stotra is a powerful hymn revered for its ability to invoke divine blessings. It is believed to lead to sin destruction, promote auspiciousness, and pave the way for self-realization and prosperity in the lives of its practitioners.

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । 
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥1॥

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि ।
 सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥2॥

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि । 
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥3॥

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । 
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥4॥

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि । 
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥5॥

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे । 

महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥6॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि । 
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥7॥

श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते । 
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥8॥

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः । 
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥9॥

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् । 
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥10॥

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् । 
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥11॥

॥ इस प्रकार इन्द्रकृत महालक्ष्मी अष्टकम (महालक्ष्म्यष्टक ) सम्पूर्ण हुआ ॥

By regularly reciting the Mahalaxmi Ashtakam Stotra, devotees can transcend their limitations, eliminate negativity, and embrace a life filled with auspiciousness and prosperity. This sacred hymn not only nurtures one’s spiritual growth but also fosters self-realization, making it an essential part of one’s spiritual journey.

श्री महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करने से पहले श्री लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना और श्री महालक्ष्मी अष्टकम के बाद श्री महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करना माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष साधन है, जिससे वे अत्यंत प्रसन्न होती हैं।

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