एक व्यक्ति के जन्म के साथ ही उसके जन्म नक्षत्रों, ग्रहो और योगों की स्थिति के आधार पर उसकी कुंडली बन जाती है जिससे उसके करियर, व्यापार, नौकरी, वैवाहिक जीवन और भविष्य में उतार-चढ़ाव आदि के बारे में पता चलता है।
सनातन धर्म में जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कार बताए गए है जिसमे सबसे महत्वपूर्ण संस्कार विवाह को माना जाता है क्योंकि सांसारिक क्रम को आगे बढ़ाने के लिए विवाह आवश्यक होता हैं।आज के इस समाज में विवाह के बंधन में बंधना तो आसान हैं लेकिन उस बंधन को बनाए रखना मुश्किल हो गया हैं। विवाह चाहे परिवार की पसंद से हो या फिर प्रेम, दोनों में ही यह जानना जरुरी होता हैं कि लड़का-लड़की एक दूसरे के लिए कितने सही हैं और उनके आपसी जीवन में कितना तालमेल रहेगा इसीलिए विवाह से पहले कुंडली विश्लेषण करना अनिवार्य हो जाता है।
विवाह और विवाह-विच्छेद दोनों ही क्रमशः जीवन के सुखद एवं दुखद क्षण होते हैं, लेकिन ग्रह-नक्षत्र द्वारा उत्पन्न परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि कभी एक पक्ष और कभी दोनों पक्ष ही इसके लिए मजबूर हो जाते हैं।
आज के इस लेख में ज्योतिष रजत जी के अनुसार जानेंगे कि कुंडली के वो कौन से दोष और योग हैं जो जातक को उसके दाम्पत्य जीवन का निर्वाह ठीक ढंग से नहीं करने देते।
रजत जी बताते हैं कि जन्मपत्रिका में विवाह का पता सप्तम भाव से चलता हैं और जब इस भाव में सूर्य, गुरु, मंगल और शनि जैसे ग्रह उपस्थित होते हैं या उनकी दृष्टि इस भाव पर हो तो जातक का वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा रहता हैं।
इन कारणो से वैवाहिक जीवन में आती हैं परेशानियां –
- सप्तम भाव में सूर्य की उपस्थिति के कारण तलाक होता हैं।
- गुरु के सप्तम भाव में होने से विवाह 30 वर्ष की आयु से पूर्व करने पर विवाह विच्छेद होता हैं।
- मंगल और शनि के सप्तम भाव में होने से दंपत्ति के मध्य अनावश्यक विवाद उत्पन्न होते रहते हैं।
- यदि मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में किसी अन्य अशुभ ग्रह से जुड़ा हुआ हो तो वैवाहिक जीवन में अशांति बनी रहती है।
- अगर जातक की कुंडली में सातवें भाव का स्वामी छठे भाव में बैठा है तथा उस पर मंगल ग्रह की दृष्टि है, तो अकस्मात् अलगाव हो सकता है।
- जब सातवें घर का स्वामी छठे भाव में बैठा हो और शनि से दृष्ट हो, तब इस स्थिति में जातक का तलाक हो जाता है।
वैवाहिक जीवन सुगम बनाने के लिए करे सरल ज्योतिष उपाय
- विवाह से पूर्व कुंडली मिलान अवश्य कराएं।
- शिव-शक्ति की मिलकर पूजा करे।
- प्रातः सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
- घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं व उसकी सेवा करे।
- दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में तांबे की अंगूठी धारण करें।
- शुक्र मंत्र ए “ॐ शुं शुक्राय नमः।” का रोजाना 108 बार जाप करें।
- नवविवाहितों को कपड़े और मिठाई का दान करें।